संविधान (जम्मू और कश्मीर में लागू होने के लिये) संशोधन आदेश, 2019 (constitution application to jammu and kashmir amendment order 2019)
चर्चा में क्यों?
प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने संविधान आदेश (जम्मू और कश्मीर में लागू) संशोधन आदेश, 2019 [Constitution (Application to Jammu & Kashmir) Amendment Order, 2019] के माध्यम से संविधान आदेश, 1954 (जम्मू और कश्मीर में लागू) [Constitution (Application to Jammu & Kashmir) Order, 1954] में संशोधन के संबंध में जम्मू और कश्मीर सरकार के प्रस्ताव को अपनी मंज़ूरी दे दी है।
- राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 370 की धारा (1) के अंतर्गत संविधान (जम्मू और कश्मीर में लागू) संशोधन आदेश, 2019 जारी किये जाने के बाद संविधान (77वाँ संशोधन) अधिनियम, 1995 तथा संविधान (103वाँ संशोधन) अधिनियम,2019 के माध्यम से भारतीय संविधान के संशोधित तथा प्रासंगिक प्रावधान लागू होंगे।
जम्मू-कश्मीर के युवाओं को मिलेगा लाभ
अधिसूचित होने पर यह आदेश सरकारी सेवाओं में अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों के लिये पदोनत्ति के लाभ का मार्ग प्रशस्त करेगा और जम्मू-कश्मीर में सरकारी नौकरी में वर्तमान आरक्षण के अतिरिक्त ‘आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्गों के लिये’ 10 प्रतिशत तक आरक्षण का लाभ प्रदान करेगा।
- उल्लेखनीय है कि आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्गों के लिये 10% आरक्षण जनवरी 2019 में 103वें संविधान संशोधन के माध्यम से देश के बाकी हिस्सों में पेश किया गया। यह सरकारी नौकरियों में मौजूदा आरक्षण के अतिरिक्त होगा।
पृष्ठभूमि
- संविधान (77वाँ संशोधन) अधिनियम, 1995 भारतीय संविधान के अनुच्छेद 16 की धारा 4 में उप-धारा (4A) को जोड़कर लागू किया गया। धारा (4A) में सेवा में अनुसूचित जातियों तथा जनजातियों जिसमें गुर्जर और बकरवाल भी शामिल हैं, को पदोन्नति का लाभ (Benefit of promotion) देने का प्रावधान है।
- 24 वर्षों के लंबे इंतजार के बाद, 1995 का 77वाँ संविधान संशोधन अब जम्मू-कश्मीर राज्य के लिये लागू कर दिया गया है।
- एक अध्यादेश द्वारा जम्मू-कश्मीर आरक्षण अधिनियम, 2004 (Jammu and Kashmir Reservation Act, 2004) में संशोधन कर नियंत्रण रेखा के पास रहने वाले लोगों के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय सीमा के पास रहने वाले लोगों को भी राज्य सरकार की नौकरियों में आरक्षण देने का प्रावधान लागू किया गया है।
- इससे पहले, जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा से केवल 6 किलोमीटर के दायरे में रहने वाले युवाओं के लिये 3% आरक्षण का प्रावधान था। अंतर्राष्ट्रीय सीमा के पास रहने वाली आबादी द्वारा लंबे समय से सरकारी नौकरियों में आरक्षण की मांग की जाती रही रही है, क्योंकि उन्हें जम्मू-कश्मीर में सीमा पार से होने वाली गोलीबारी का सामना करना पड़ता है।